बिहार में बाढ़ की समस्या का भौगोलिक विश्लेषण कीजिए। इसके प्रभावों तथा प्रबंधन के उपायों पर भी चर्चा कीजिए।"
"बिहार में बाढ़ की समस्या का भौगोलिक विश्लेषण कीजिए। इसके प्रभावों तथा प्रबंधन के उपायों पर भी चर्चा कीजिए।"
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✅ उत्तर:
परिचय:
बिहार भारत का एक प्रमुख राज्य है जहाँ प्रतिवर्ष बाढ़ एक नियमित आपदा बन चुकी है। राज्य के उत्तरी भाग में गंगा की सहायक नदियाँ (कोसी, गंडक, बागमती आदि) बाढ़ की मुख्य वजह बनती हैं। इस समस्या के पीछे भौगोलिक, जलवायु तथा मानव निर्मित कारण हैं।
1. बाढ़ के भौगोलिक कारण:
नदी तंत्र: हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बड़ी मात्रा में जल एवं अवसाद लाती हैं।
मैदानी भू-आकृति: बिहार का उत्तरी भाग अत्यंत समतल है, जिससे जल निकासी धीमी होती है।
अत्यधिक वर्षा: मानसून के दौरान नेपाल में भारी वर्षा के कारण नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है।
नदी मार्ग का बदलना: विशेषकर कोसी नदी को 'बिहार का शोक' कहा जाता है, क्योंकि यह बार-बार अपना मार्ग बदलती है।
2. प्रभाव:
जनजीवन पर प्रभाव: हजारों लोग हर वर्ष विस्थापित होते हैं।
कृषि पर असर: फसलों की तबाही से किसान आर्थिक रूप से प्रभावित होते हैं।
स्वास्थ्य समस्याएँ: जलजनित रोग जैसे हैजा, डायरिया, मलेरिया आदि फैलते हैं।
बुनियादी ढांचे का विनाश: सड़कों, पुलों और बिजली तंत्र को क्षति होती है।
3. प्रबंधन के उपाय:
दीर्घकालिक उपाय: जलाशयों का निर्माण, नदियों की गहराई बढ़ाना, वनों का पुनः रोपण।
तत्कालीन उपाय: बाँधों और तटबंधों का रखरखाव, सटीक मौसम पूर्वानुमान प्रणाली।
जन-जागरूकता: बाढ़ संभावित क्षेत्रों में लोगों को राहत एवं पुनर्वास की जानकारी देना।
भारत-नेपाल सहयोग: सीमा-पार जल प्रबंधन पर संयुक्त योजना की आवश्यकता।
निष्कर्ष:
बिहार में बाढ़ केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक सतत चुनौती है। इसका समाधान केवल तकनीकी उपायों से नहीं, बल्कि समग्र जलवायु-संवेदनशील योजना और अंतर-राज्यीय/अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से ही संभव है।
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